No teacher in Tattapani, all 16 students of non medical faculty left the school

तत्तापानी में शिक्षक नहीं, नॉन मेडिकल संकाय के सभी 16 विद्यार्थियों ने छोड़ा स्कूल

No teacher in Tattapani, all 16 students of non medical faculty left the school

No teacher in Tattapani, all 16 students of non medical faculty left the school

करसोग:हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला तत्तापानी में 11वीं कक्षा में नॉन मेडिकल में दाखिल लेने वाले सभी 16 विद्यार्थियों ने दो महीने के भीतर ही स्कूल छोड़ दिया है। इसकी मुख्य वजह स्कूल में नॉन मेडिकल विषयों के अध्यापकों की तैनानी न हो पाना है। बच्चों की भविष्य को दांव पर लगता देख अभिभावकों ने तत्तापानी से स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट लेकर शिमला जिले के सुन्नी स्कूल में दाखिला करवा दिया है। एक ही स्कूल से 16 बच्चों के पलायन करने से प्रदेश सरकार के उच्च गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के वायदों और दावों पर भी लोगों ने सवाल उठाने लगे हैं। प्रदेश सरकार ने लोगों की मांग पर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला तत्तापानी में इसी साल नॉन मेडिकल की कक्षाएं शुरू की थीं।

इसके बाद क्षेत्र के 16 बच्चों ने नॉन मेडिकल विषय में दाखिला भी ले लिया। मगर दो महीने तक स्कूल में संबंधित विषयों के शिक्षक तैनात नहीं हुए। उन्होंने मैथ, फिजिक्स और केमिस्ट्री आदि विषयों के टीचर न भेजे जाने पर सभी छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया है। दो महीने तक शिक्षकों के आने का इंतजार कर थक चुके अभिभावकों ने स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट लेकर अब मजबूरन बच्चों की एडमिशन राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सुन्नी में करा दी है। अब बच्चों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए मजबूरन कई किलोमीटर का सफर कर सुन्नी स्कूल पहुंचना पड़ रहा है। इसमें छात्रों का कीमती समय भी बर्बाद हो रहा है।

प्रिंसिपल का पद भी खाली

अभिभावकों ने बताया कि तत्तापानी स्कूल में प्रिंसिपल का पद भी करीब एक महीने से खाली है। यही नहीं नॉन मेडिकल की क्लासें भी टीजीटी ले रहे थे। ऐसे में बच्चों के भविष्य से हो रहे खिलवाड़ को रोकने के लिए अभिभावकों ने स्कूल को बदलना बेहतर समझा। अभिभावक लंबे समय से नॉन मेडिकल के शिक्षकों की तैनाती की मांग करते रहे। इसके लिए कई मंचों से मामले को उठाया गया। हैरानी की बात है कि क्वालिटी एजुकेशन के दावा करने वाली सरकार अभिभावकों की मांग को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है।

शिक्षा मंत्री के समक्ष भी उठाया मामला

तत्तापानी स्कूल में नॉन मेडिकल के टीचर न होने का मामला शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के समक्ष भी उठाया है। शिक्षक न होने से बच्चों का भविष्य खराब हो रहा था, इसलिए अभिभावकों ने सभी छात्रों के स्कूल लिविंग सार्टिफेकेट ले लिए हैं। अगर सरकार जल्द से जल्द टीचर भेजती है तभी छात्र तत्तापानी स्कूल में दोबारा एडमिशन ले सकते हैं।

पांगी के 67 प्राथमिक स्कूलों का मांगा दो साल का रिकॉर्ड

वहीं, पांगी में सरकारी स्कूल में बच्चों को देश का नाम पता न होने के मामले में शिक्षा निदेशक ने पांगी और जिला चंबा के शिक्षा अधिकारियों से वर्चुअल बैठक की। इस दौरान उन्होंने शिक्षा अधिकारियों को दिशा निर्देश देते हुए पांगी घाटी के 67 प्राथमिक पाठशालाओं का पिछले दो सालों का वार्षिक परीक्षा परिणाम मुहैया करवाने के निर्देश दिए। इस वर्चुअल बैठक में शिक्षा उपनिदेशक, प्रारंभिक खंड शिक्षा अधिकारी के साथ पांगी के 12 कलस्टर जुड़े रहे। वर्चुअल बैठक के बाद 25 मई को ये अधिकारी चंबा से शिमला जाएंगे। जहां पर दिल्ली से आई टीम उनसे पूछताछ करेगी और बच्चों की पढ़ाई को लेकर छानबीन करेगी।

बता दें कि कुछ दिन पहले जब भाजपा विधायक पांगी घाटी के दौरे पर गए थे। उस दौरान उन्होंने पांगी घाटी के प्राथमिक स्कूलों का औचक निरीक्षण भी किया था। इस दौरान एक स्कूल में जब उन्होंने बच्चों से देश का नाम पूछ तो बच्चे एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे। कोई भी बच्चा अपने देश का नाम नहीं बता पाया। इस विधायक ने स्कूल के अध्यापक को लताड़ लगाई और इस मामले को मुख्यमंत्री के समक्ष उठाने की बात कही। इस पूरी घटना का वीडियो बनाकर उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर अपलोड किया। तथा इसको लेकर अमर उजाला ने प्रमुखता के साथ खबर प्रकाशित की। इसके परिणाम स्वरूप जहां दिल्ली से एक टीम शिमला पहुंची तो वहीं शिक्षा निदेशक ने मंगलवार को जिला और पांगी के शिक्षा अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक भी की।